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35 साल की लंबी लड़ाई के बाद राजा मानसिंह को मिला न्याय, 11 दोषियों को मिली उम्र कैद की सजा

बहुचर्चित राजा मानसिंह हत्याकांड में बुधवार को जिला जज साधना रानी ठाकुर ने राजस्थान पुलिस के तत्कालीन एक डीएसपी, दो उपनिरीक्षकों सहित 11 पुलिस और आरएसीकर्मी दोषी करार दिया गया है। 35 साल चले मुकदमे में न्यायालय ने तीन आरोपियों को बरी कर दिया है। जिला जज ने सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। फैसले के बाद दोषी सभी अभियुक्तों को कड़ी सुरक्षा में अस्थाई जेल भेज दिया गया। इस लंबी लड़ाई में राजा मानसिंह की बेटी दीपेंद्र कौर उर्फ दीपा और उनके दामाद विजय सिंह सिरोही ने अहम भूमिका निभाई है।

कौन थे राजा मानसिंह

भरतपुर रियासत के राजा मानसिंह का जन्म 1921 में हुआ था। मानसिंह अपने चार भाइयों में तीसरे नंबर पर थे। मानसिंह बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थे, उन्हें मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने ब्रिटेन भेजा गया। जहां से डिग्री लेने के बाद वह सेकंड लेफ्टिनेंट हो गए, लेकिन यह बात अपने बड़े भाई को नहीं बताई। आजादी के बाद वह राजनीति में आ गए।1952 से 1984 तक वह लगातार निर्दलीय चुनाव लड़ते रहे और जीतते रहे। 1977 की जनता लहर और 1980 की इंदिरा लहर में भी अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे।

क्या था मामला?

मामला 20 फरवरी 1985 का है। उन दिनों राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार चल रहा था। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर डीग में जनसभा करने आए थे। राजा मानसिंह डीग विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। उनके सामने कांग्रेस के ब्रजेंद्र सिंह प्रत्याशी थे। राजा समर्थकों का आरोप था कि कांग्रेस समर्थकों ने राजा मान सिंह के डीग स्थित किले पर लगा उनका झंडा उतारकर कांग्रेस का झंडा लगा दिया था।ये बात राजा को नागवार गुजरी। पुलिस एफआईआर के मुताबिक, राजा ने चौड़ा में आयोजित सभा के मंच को जीप की टक्कर से तोड़ दिया था। इसके बाद सीएम के हेलीकॉप्टर को भी जीप से टक्कर मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया था। हालांकि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर वहां नहीं थे। मगर इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता बौखला उठे। बाद में मुख्यमंत्री ने टूटे मंच से ही चुनावी भाषण भी दिया और पुलिस-प्रशासन को घटना के लिए आड़े हाथ लिया था। दूसरे दिन 21 फरवरी को दोपहर में राजा मान सिंह अनाज मंडी से जा रहे थे। जहां उनका सामना डीग के तत्कालीन डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी से हुआ। यहां फायरिंग में राजा मान सिंह, उनके साथी सुमेर सिंह और हरी सिंह की मौत हो गई। जिस वक्त राजा की मौत हुई, उनकी उम्र 64 वर्ष थी। विजय सिंह ने कान सिंह भाटी और एसएचओ वीरेंद्र सिंह समेत 17 के खिलाफ हत्या की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। जबकि पुलिस ने इसे एनकाउंटर करार दिया था।

जल उठा था भरतपुर

इस घटना के बाद पूरा भरतपुर जल उठा।इसकी तपिश मथुरा, आगरा और पूरे राजस्थान में महसूस की गई।देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था कि किसी सिटिंग एमएलए का दिनदहाड़े एनकाउंटर किया गया था।तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर पर आरोप लगे कि उनकी शह पर पुलिस ने राजा की हत्या की है।केंद्र तक यह बात पहुंची. 23 फरवरी 1985 को माथुर को इस्तीफा देना पड़ा, हीरा लाल देवपुरा को सीएम बनाया गया.

इनको हुई सजा :

-तत्कालीन सीओ डीग कान सिंह भाटी निवासी हड्डा हाउस, एनवर्सर बीकानेर

-तत्कालीन एसएचओ डीग वीरेंद्र सिंह निवासी बहरोर जाट थाना मंडावर अलवर

-तत्कालीन कॉन्स्टेबल सुखराम निवासी भूडा दरवाजा थाना डीग, भरतपुर।

-तत्कालीन हैड कांस्टेबल आरएसी ई कंपनी छठवीं बटालियन जीवनराम निवासी गांव बरानेकुर्द भोपालगढ़ जोधपुर

-तत्कालीन हेड कॉन्स्टेबल आरएसी बी कंपनी छठवीं बटालियन भंवर सिंह निवासी गांव चांदनी थाना शंकरा जोधपुर

-तत्कालीन कॉन्स्टेबल आरएसी ई कंपनी छठवीं बटालियन हरी सिंह निवासी ग्राम धीरा थाना ढांचू जोधपुर

-तत्कालीन कॉन्स्टेबल आरएसी ई कंपनी छठवीं बटालियन शेर सिंह निवासी गांव निम्बारा थाना सुरणलिया नागौर

-तत्कालीन कॉन्स्टेबल आरएसी ई कंपनी छठवीं बटालियन छत्तर सिंह निवासी गांव कटूकाला थाना शेरगढ़ जोधपुर

-तत्कालीन कॉन्स्टेबल आरएसी ई कंपनी छठवीं बटालियन पदमाराम निवासी सुखमंडला थाना देवू जोधपुर

-तत्कालीन कॉन्स्टेबल आरएसी ई कंपनी छठवीं बटालियन जगमोहन निवासी गांव खाकावाली थाना नगर भरतपुर

-इंस्पेक्टर/ सेकंड एसपी ऑफिस रवि शेखर मिश्रा निवासी 44 संजय कॉलोनी मेहरू नगर जयपुर

चार हुए बरी और तीन की हो चुकी है मौत

सीबीआई द्वारा कुल 18 के खिलाफ चार्जशीट दी गई थी, जिनमें से एएसआई नेकीराम, कांस्टेबल कुलदीप और सीताराम की मौत हो चुकी है। सीओ कान सिंह भाटी के चालक महेंद्र सिंह को जिला जज की अदालत पहले ही बरी कर चुकी थी। मंगलवार को कुल 14 पर सुनवाई के दौरान जिला जज ने केस के जांचकर्ता कान सिंह सिरवी और जीडी लेखक हरिकिशन और गोविंद राम को बरी कर दिया।

ऐसे मिली जीत

इस मामले की पैरवी कर रहे वकील नारायण सिंह विप्लवी का कहना है कि न्याय पाने में वर्षों लग गए. जबकि पुलिस ने नृशंस हत्या की थी. हमारी तरफ से 61 गवाह पेश किए गए और पुलिस की तरफ से 16 लेकिन उन्होंने गलती की थी इसलिए उनका हारना तय था.

1- एडवोकेट विप्लवी ने बताया कि हम यह साबित करने में सफल रहे कि राजा को घेरकर मारा गया।पुलिस ने राजा की जीप के आगे अपनी जीप अड़ा दी। इसके बाद मानसिंह की कनपटी पर गोली मारी गई जो उनके साथ बैठे 2 और लोगों के सिर में लगी और तीनों की मौत हो गई।

2- मानसिंह के सीने में भी गोली मारी गई थी, गोली नजदीक से मारी गई थी, अगर मुठभेड़ होती है तो गोली दूर से चलती।

3- जीडी में जिक्र किया गया कि राजा मानसिंह की तलाश में पुलिस टीम निकल रही है और उसके 4 मिनट बाद ही मुठभेड़ दिखा दी गई।

4- पुलिसवालों का तर्क था कि राजा से बहस हुई और उन्होंने हथियार निकाल लिए इसके बाद पुलिस ने गोली चलाई। पुलिस ने एक कट्टा बरामद दिखाया।बाद में साबित हो गया कि पुलिस ने प्लांट किया था, राजा के पास तो कोई हथियार ही नहीं था।

5- सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि गवाहों ने सच-सच सारी बातें कोर्ट को बताईं, कोई गवाह अपनी बात से मुकरा नहीं

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