ChhattisgarhIndia Rise Special

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह अचानक पहुंचे लद्दाख, नीमू में 11 हजार फीट ऊंची फॉरवर्ड लोकेशन पर की जवानों से मुलाकात।

भारत चीन सीमा गतिरोध के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार सुबह 8:30 पर अचानक लद्दाख पहुंच गए। LAC पर चले सीमा विवाद के 18 दिन बाद प्रधानमंत्री ने लद्दाख का दौरा किया है। इस बात की जानकारी पहले से नहीं दी गई थी।

यहां उन्होंने बिना नाम लिए चीन पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ‘विस्तारवाद की उम्र खत्म हो गई है. यह विकास की उम्र है. इतिहास गवाह है कि विस्तारवादी ताकतें या तो हार गई हैं या वापस लौटने के लिए मजबूर हो गई हैं.’

प्रधानमंत्री ने नीमू में 11 हजार फीट ऊंची फॉरवर्ड लोकेशन पर थलसेना और वायुसेना के जवानों से मुलाकात की। नीमू दुर्गम स्थानों में से एक है। यह जंस्कार पर्वत से घिरा हुआ है। नीमू से चीन की दूरी करीब 250 किलो मीटर दूर है।

माना यह भी जा रहा है कि विपक्ष पार्टी को जवाब देने के लिए पी एम मोदी गए हैं, जबकि गुरुवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का लद्दाख दौर निश्चित किया गया था।

19 जून की सर्वदलीय बैठक में कहा गया था कि जवानों को फ्री हैंड दिया गया है। जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी। हम शांति जरूर चाहते हैं, लेकिन अगर कोई उकसाएगा तो जवाब देना भी जानते हैं।

प्रधानमंत्री मंत्री के अचानक लद्दाख जाने पर विपक्ष कांग्रेस पार्टी ने तंज कसना शुरू कर दिया है। पार्टी के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने ट्वीट कर लिखा है कि जब इंदिरा गांधी लेह गई थीं तो पाकिस्तान के दो हिस्से हो हुए थे। अब देखना ये है कि मोदी जी क्या करते हैं?

जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री घायल जवानों से मिलने अस्पताल भी जाएंगे। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भी मौजूद हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लेह दौरे को लेकर भी चीन ने प्रतिक्रिया दी है.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, ‘भारत और चीन लगातार सैन्य और कूटनीतिक बातचीत के जरिए सीमा पर जारी तनाव को कम करने में लगे हुए हैं. ऐसे में किसी भी पार्टी को कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहिए, जिससे सीमा पर तनाव पैदा हो.’

चीनी दूतावास की प्रवक्ता शी रोंग ने अपने एक ट्वीट में कहा, ‘चीन ने अपने 14 पड़ोसी देशों में से 12 के साथ शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से सीमा का निर्धारण किया है और जमीनी सीमाओं को मैत्रीपूर्ण सहयोग के बंधन में बदल दिया है. चीन को विस्तारवादी के रूप में देखना आधारहीन है और पड़ोसियों के साथ इसके विवादों को बढ़ा-चढ़ाकर और गलत तरीके से पेश करना भी सही नहीं है.’

 

मौजूदा हालात को देखते हुए  प्रधानमंत्री का यह दौरा काफी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है।

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