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Agrohomeopathy: होम्योपैथी से बीमार इंसानों के साथ फसलों का इलाज भी कर रहे डॉ. विकास वर्मा, जानिए कैसे हुआ यह संभव

-अनाज, फल-फूल पर बेहद कारगर है होम्योपैथी, तमाम बीमारियों को कर देती है जड़ से खत्म, देश के तमाम किसान कर रहे इस्तेमाल
-पीलीभीत में अपने फार्म पर फसलों के साथ कर रहे प्रयोग, अब तक किए गए सभी प्रयोग सफल, कई फसलों को खराब होने से बचाया
-अनाज और फलों के जानवरों की बीमारियां दूर करने और दुधारू जानवरों का दूध बढ़ाने में बेहद असरदार है होम्योपैथी विधा
-विशाखापत्तनम, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब, छत्तीसगढ़ में किसानों की बीमार फसलों का कर चुके हैं इलाज
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एग्रीहोम्योपैथी से कैसे होता है फसलों का इलाज, जानने के लिए देखिए डॉ. विकास वर्मा का यह वीडियो 
https://www.youtube.com/watch?v=5_jCfitwP_k
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होम्योपैथी से इन फसलों का इलाज कर चुके हैं डॉ. विकास
आम, अमररूद, चीकू, कपास, मूंगफली, टमाटर, बैगन, नींबू, चना, सरसों, मिर्च, उड़द, मसूर, गन्ना, हल्दी, लहसुन, लेमनग्रास, मेंथा, मूंग, बेल समेत तमाम फसलें।

द इंडिया राइज
शहर के पॉश इलाके में क्लीनिक, मरीजों की खासी भीड़भाड़ और पत्नी भी डॉक्टर। जिंदगी में वह सबकुछ था जिसकी एक इंसान कल्पना करता है। मगर, तमाम सवालों में लिपटी एक बेचैनी हमेशा डॉ. विकास वर्मा का पीछा किया करती थी। होम्योपैथी से तमाम असाध्य मरीजों को ठीक कर देने वाले डॉ. विकास को फसलों में लगने वाली बीमारियों की खबरें हमेशा बेचैन कर देती थीं। काफी दिन तक सोचने के बाद उन्होंने फसलों का होम्योपैथी से इलाज करने का संकल्प लिया। शुरुआत घर के नींबू के पौधे से की। नतीजे चौंकाने वाले थे, इसलिए वह आगे बढ़ते चले गए। देश के तमाम इलाकों में किसानों की फसलों को बर्बाद होने से बचा चुके डॉ. विकास अब किसानों की आमदनी दोगुनी करने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि होम्योपैथी से फसलों की बीमारियां दूर करने के साथ ही दुधारू पशुओं का दूध बढ़ाया जा सकता है। जिससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।
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मूलरूप से पीलीभीत शहर के रहने वाले डॉ. विकास वर्मा अपने परिवार के साथ नॉर्थ सिटी एक्सटेंशन कालोनी में रहते हैं। डॉ. विकास वर्मा और उनकी पत्नी डॉ. सुमन वर्मा पेशे से होम्योपैथिक डॉक्टर हैं। दोनों बीडीए कॉंपलेक्स में अपना क्लीनिक चलाते हैं। पीलीभीत में अमरिया पुल के पास उनका अपना कृषि फार्म भी हैं। पेड़ पौधों के इलाज के शौक ने दोनों ने होम्योपैथिक चिकित्सक के साथ प्रगतिशील किसान भी बना दिया। डॉ. विकास अपने फार्म पर एक ही बार में कई फसलें उगाते हैं। आईवीआरआई व कृषि विभाग के लिए उनका फार्म एक रोल मॉडल जैसा है। मरीजों के साथ-साथ पेड़ पौधों के इलाज में डॉ. विकास की पत्नी डॉ. सुमन वर्मा उनकी पूरी मदद करती हैं।
पौधों पर होम्योपैथी के प्रयोग को खोला अपना फार्म
पौधों पर होम्योपैथी के प्रयोग को डॉ. विकास वर्मा ने पीलीभीत के अमरिया पुल के पास अपना फार्म खोला। एक फार्म पर अमरूद की खेती की और बाकी दो फार्मों पर दूसरी फसलों की। उन्होंने अपने फार्म पर अमरूद, आम, गेहूं, धान, गन्ना, चना, अरहर, मिर्च, बेल समेत तमाम फसलों की बीमारियां होम्योपैथी से ठीक कर दीं।
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मध्य प्रदेश के किसान पहुंचे मदद मांगे
डॉ. विकास ने बताया, मैंने होम्योपैथी से फसलों का इलाज शुरू किया तो यह बात किसानों के बीच तेजी से फैलने लगी। तब मेरे पास मध्य प्रदेश के रायपुर से किसान आए। उनकी 4000 एकड़ में लगी टमाटर की फसल में कीड़ा लग गया था। मैंने प्रयोग के तौर पर टमाटर की फसल का इलाज शुरू किया। कुछ ही दिनों में कीड़ा मर गया और टमाटर की फसल बच गई। अब मेरे पास यूपी के तमाम जिलों के साथ-साथ छह से अधिक प्रदेशों के किसान आ रहे हैं।
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अपने खेत पर खाद बनाकर कैसे करें इस्तेमाल, क्या है तरीका, बता रहे हैं डॉ. विकास, देखिए यह वीडियो 
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इंसानों की तरह व्यवहार करते हैं पौधे
डॉ. विकास वर्मा ने बताया कि पौधे इंसानों की तरह व्यवहार करते हैं। बीमार होने पर वह हमें पूरे संकेत देते हैं। हम उनके संकेत नहीं पहचान पाते और पौधे दम तोड़ देते हैं। पिछले करीब 10 बरसों में मैंने पेड़ पौधों की भाषा को पढ़ना सीख लिया है। बीमार पौधों की जांच करने के बाद मैं उन्हें उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दवा देता हूं। पौधा पूरी ताकत से रोग से लड़ता है और बीमारी से बाहर निकल आता है। ऐसे में पैदावार भी बंपर होती है।
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पेस्टीसाइड्स से बेहद सस्ती है होम्योपैथी दवा
उन्होंने बताया कि पौधों की बीमारियां दूर करने के लिए इस्तेमाल हो रही होम्योपैथी की दवाएं पेस्टीसाइड्स से बेहद सस्ती हैं। इनका पेड़ पौधों और इंसानों पर कोई हानिकारक प्रभाव भी नहीं पड़ता। इन दवाओं से पौधों की किसी भी बीमारी से लड़ा जा सकता है। ये दवाएं असर भी तुरंत करती हैं। मगर बाजारवाद के दौर में आम किसान पौधों के इलाज की इस पद्वति पर धीरे-धीरे भरोसा कर रहे हैं। उन्हें डर लगता है कि कहीं दवा डालने के बाद भी नुकसान हो गया तो क्या करेंगे। मगर अब उनका भरोसा धीरे-धीरे जम रहा है।
कई प्रदेशों के किसानों की कर रहे मदद
डॉ. विकास ने बताया कि उत्तर प्रदेश के अलावा मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, उत्तराखंड, विशाखापत्तनम के किसान भी हमारे पास अपनी समस्याएं लेकर पहुंचते हैं। कई बार किसान खुद न आकर केवल फोन पर संपर्क करते हैं तो हम उन्हें दवाएं बता देते हैं। कुछ दिन के इलाज के बाद किसानों का थैक्स नोट आता है। यह हमारे के लिए काफी सुकून देने वाला होता है।
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फार्म पर एक साथ उगा रहे कई फसलें
डॉ. विकास ने बताया कि अब किसानों को एक ही समय में बहुत सी फसलें करने के बारे में सोचना होगा। मैं अपने फार्म पर लहसुन, हल्दी, अदरक, शतावर, गेंदा, मटर, अल्सी, प्याज, सरसों, आलू की फसल एक साथ कर रहा हूं। पति-पत्नी रोजाना कम से कम दो घंटे अपने फार्म पर जरूर देते हैं। किसान अक्सर बीमार पौधों को सैंपल के तौर पर लेकर हमारे फार्म में पहुंचते हैं। हम वहीं पौधों का इलाज भी करते हैं।

अस्पताल में इलाज कराने पहुंचा मिर्च का बीमार पौधा
पिछले दिनों बरेली और बदायूं के 50 से अधिक गांवों में मिर्च की फसल घुमना रोग (कर्ल लीफ वायरस) से खराब हो रही थी।0 उझानी के किसान पन्नालाल यादव  मिर्च के बीमार पौधों को डॉ. विकास की क्लीनिक पर पहुंचे। ऐसा पहली बार हुआ जब कोई बीमार पौधा डॉक्टर के पास पहुंचा। डॉ. विकास ने पौधे का हाल देखने के बाद पन्नालाल को मिर्च की फसल पर स्प्रे करने के लिए दवा दी। कुछ दिन चले इलाज के बाद मिर्च की फसल फिर लहलहा उठी।
देश के हर किसान तक पहुंचाना चाहते हैं तकनीक
डॉ. विकास वर्मा और डॉ. सुमन वर्मा ने बताया कि वो दोनों पेड़-पौधों की बीमारियों के इलाज की होम्योपैथिक तकनीक को देश के हर किसान तक पहुंचाना चाहते हैं। दवाओं की कीमत कम होने के कारण इन्हें छोटे और मझोले किसान भी आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं। दोनों ने बीमार पौधों और फसलों पर अब तक जितने भी प्रयोग किए हैं, वे सभी सफल रहे हैं। फिलहाल पति-पत्नी किसानों को मुफ्त में दवा बांट रहे हैं।
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दो किलो के अमरुद वाले डॉक्टर साहब के नाम से हैं मशहूर
फसलों के साथ अपने फार्म पर आम, अमरुद, पपीता और केले की खेती कर रहे डॉ. विकास वर्मा को आम लोग दो किलो के अमरुद वाले डॉक्टर साहब के बारे में जानते हैं। वह बरेली मंडल में सबसे पहले थाईलैंड के अमरूद की डेढ़ से दो किलो वाली वैरायटी लेकर आए थे। उन्होंने बताया, होम्योपैथिक दवाओं की मदद से हम पौष्टिक अमरुद तैयार करते हैं। इसकी बरेली के साथ दूसरे शहरों में भी बड़ी मांग है।

होम्योपैथी इंसानों पर जितनी कारगर है उतनी ही पेड़ पौधों पर भी। अलग-अलग फसलों में लगने वाली बीमारियों का होम्योपैथी से बेहद कम समय में कारगर इलाज संभव है। मैं अब तक तमाम किसानों की बीमार फसलों को ठीक कर चुका हूं। मेरी कोशिश है कि यह तकनीक देश के हर किसान तक पहुंचे। मैं लगातार इसके लिए प्रयास कर रहा हूं। अब मैं जानवरों की बीमारियां दूर करने और दूध बढ़ाने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूं। होम्योपैथी सही मायनों में किसानों की आय दोगुनी कर सकती है।
डॉ. विकास वर्मा, प्रगतिशील किसान व होम्योपैथिक चिकित्सक

होम्योपैथी इंसानों की तरह फसलों को भी ठीक कर देती है। इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। अगर किसान पेस्टीसाइड्स की जगह होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल शुरू कर दें तो मिट्टी के साथ-साथ इंसान भी जहर से बच जाएंगे। हमारी कोशिश है कि हम देश के अधिक से अधिक किसानों तक यह विधा पहुंचा पाएं। हम अपने कर्म में लगे हैं, जब तक सफलता नहीं मिल जाएगी, रुकेंगे नहीं।
–डॉ. सुमन वर्मा, प्रगतिशील किसान व होम्योपैथिक चिकित्सक

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